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RAJENDRA BHABAR

"लालच का जाल: क्यों बचना ज़रूरी है !

"लालच का जाल: क्यों बचना ज़रूरी है और कैसे करता है ये हमारे जीवन को बर्बाद?" लालच एक ऐसी मानवीय प्रवृत्ति है, जो सीमाएं नहीं पहचानती। जब यह मन में घर कर जाती है, तो इंसान न केवल अपने सिद्धांतों से भटक जाता है बल्कि अपने स्वास्थ्य और रिश्तों को भी खो देता है। मनुष्य की इच्छाएं अनंत होती हैं। इन इच्छाओं को पूरा करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है – "लालच"। हालांकि थोड़ा बहुत बेहतर जीवन की चाह रखना स्वाभाविक है, लेकिन जब यह चाहत सीमा से बाहर हो जाए, तो यह हमें नैतिक और सामाजिक रूप से गिरावट की ओर ले जाती है।  "लालच: जब चाहत सीमा लांघे तो चरित्र, स्वास्थ्य और संबंधों की होती है हार" हमें लालच क्यों नहीं करना चाहिए  ❓ नैतिक पतन:-  लालच हमें सही और गलत की सीमाएं लांघने पर मजबूर करता है। व्यक्ति अपने सिद्धांतों से समझौता करने लगता है। जब व्यक्ति लालच में पड़ता है तो वही सही गलत में होने वाले फ़र्क को भी नजर अंदाज करने लगता है । वह उस समय यह तक नहीं सोचता है की जो रास्ता उसने लालच मे आकार चुना है वह कहा जाकर रुकेगा  मानसिक अशांति:-  लालची व्यक्ति को कभी संतोष नह...

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